विश्व बैंक (World Bank) || विश्व बैंक की स्थापना, उद्देश्य, कार्य, विशेषताएं ||

विश्व बैंक (World Bank) विश्व बैंक की स्थापना, उद्देश्य, कार्य, विशेषताएं और आलोचनाएँ शामिल हैं।

विश्व बैंक –

विश्व बैंक (World Bank) एक अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्था है, जिसकी स्थापना विश्व के विभिन्न देशों के आर्थिक विकास और गरीबी हटाने के उद्देश्य से की गई थी। यह मुख्य रूप से विकासशील देशों को आर्थिक सहायता, ऋण, और तकनीकी सहयोग प्रदान करता है ताकि वे अपने बुनियादी ढांचे, शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, और औद्योगिक क्षेत्रों को मजबूत कर सकें।

विश्व बैंक की स्थापना

  • स्थापना वर्ष: 1944
  • स्थापना स्थान: ब्रेटन वुड्स सम्मेलन, न्यू हैम्पशायर, अमेरिका
  • कार्य प्रारंभ: 27 जून 1946
  • मुख्यालय: वाशिंगटन डी.सी., अमेरिका

विश्व बैंक के प्रमुख संगठन

अंतर्राष्ट्रीय पुनर्निर्माण एवं विकास बैंक (IBRD) – विकासशील देशों को दीर्घकालिक ऋण प्रदान करता है।

अंतर्राष्ट्रीय विकास संघ (IDA) – गरीब देशों को बिना ब्याज या बहुत कम ब्याज पर ऋण एवं अनुदान देता है।

अंतर्राष्ट्रीय वित्त निगम (IFC) – निजी क्षेत्र के विकास के लिए निवेश और सलाह देता है।

बहुपक्षीय निवेश गारंटी एजेंसी (MIGA) – निवेशकों को राजनीतिक जोखिम से सुरक्षा प्रदान करता है।

अंतर्राष्ट्रीय निवेश विवाद निपटान केन्द्र (ICSID) – निवेश विवादों का समाधान करता है।

विश्व बैंक के उद्देश्य

  • विकासशील देशों को आर्थिक सहायता प्रदान करना।
  • वैश्विक गरीबी कम करना।
  • बुनियादी ढांचे (सड़क, पुल, बिजली आदि) के विकास में मदद करना।
  • स्वास्थ्य, शिक्षा, कृषि, और पर्यावरण संरक्षण में सहयोग देना।
  • निजी निवेश को बढ़ावा देना।

विश्व बैंक के मुख्य कार्य

वित्तीय सहायता – विश्व बैंक विभिन्न परियोजनाओं के लिए दीर्घकालिक ऋण और अनुदान प्रदान करता है।

तकनीकी सहयोग – सदस्य देशों को योजनाओं के क्रियान्वयन में तकनीकी विशेषज्ञता और सलाह देता है।

संस्थागत विकास – देशों में प्रशासनिक और आर्थिक संस्थानों को सुदृढ़ करने में मदद करता है।

गरीबी उन्मूलन – विश्व बैंक गरीबी हटाने के लिए ग्रामीण विकास, शिक्षा, स्वास्थ्य, और रोजगार से जुड़े कार्यक्रमों में निवेश करता है।

संभाव्य निवेश का वातावरण – विश्व बैंक विदेशी निवेश को आकर्षित करने के लिए देशों को मार्गदर्शन और समर्थन प्रदान करता है।

विश्व बैंक की विशेषताएँ
  • विश्व बैंक मुख्य रूप से दीर्घकालिक ऋण प्रदान करता है, जिसकी अवधि 15-20 वर्षों तक हो सकती है।
  • यह ऋण परियोजनाओं के विश्लेषण के बाद ही प्रदान करता है।
  • ऋण की ब्याज दर कम होती है और भुगतान की अवधि लंबी होती है।
  • गरीब देशों के लिए IDA के तहत बिना ब्याज या बहुत कम ब्याज पर ऋण उपलब्ध कराए जाते हैं।
  • विश्व बैंक सदस्य देशों के आर्थिक सुधारों में भी सक्रिय भूमिका निभाता है।
विश्व बैंक द्वारा वित्तपोषित प्रमुख क्षेत्र
  • शिक्षा
  • स्वास्थ्य
  • ग्रामीण विकास
  • सिंचाई परियोजनाएँ
  • परिवहन (सड़कें, रेलवे)
  • ऊर्जा
  • शहरी विकास
  • पर्यावरण संरक्षण
विश्व बैंक की भूमिका

विश्व बैंक आज वैश्विक स्तर पर विकास सहयोग का सबसे बड़ा स्रोत बन चुका है। यह विकासशील देशों में बुनियादी ढांचे के निर्माण, प्राकृतिक आपदाओं से निपटने, स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृढ़ करने, शिक्षा के प्रसार, और पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।

विश्व बैंक की आलोचनाएँ

अमेरिका का वर्चस्व – विश्व बैंक में अमेरिका का प्रभाव अत्यधिक है क्योंकि सबसे अधिक पूंजी उसी की है। अक्सर इसके फैसले विकसित देशों के हितों के पक्ष में होते हैं।

नीतिगत शर्तें – विश्व बैंक से ऋण लेने के लिए कठोर शर्तें होती हैं, जैसे कि निजीकरण, मुक्त व्यापार और सरकारी नियंत्रण में कमी, जिससे विकासशील देशों की स्वायत्तता प्रभावित होती है।

गरीबों को सीमित लाभ – कई बार विश्व बैंक की परियोजनाओं का सीधा लाभ गरीब जनता तक नहीं पहुँच पाता।

पर्यावरणीय समस्याएँ – कई परियोजनाओं के कारण वनों की कटाई, विस्थापन और पर्यावरणीय असंतुलन की समस्याएँ उत्पन्न होती हैं।

सांस्कृतिक उपेक्षा – विश्व बैंक कभी-कभी स्थानीय संस्कृति, परंपरा और सामाजिक संरचना को नजरअंदाज कर देता है।

विश्व बैंक की उपलब्धियाँ
  • लाखों लोगों को गरीबी रेखा से ऊपर उठाने में मदद की है।
  • शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में महत्वपूर्ण सुधार लाए हैं।
  • प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित देशों को पुनर्निर्माण में सहायता प्रदान की है।
  • महिला सशक्तिकरण और बाल विकास कार्यक्रमों में सक्रिय भागीदारी निभाई है।
निष्कर्ष

विश्व बैंक विश्व का एक प्रमुख वित्तीय संगठन है जो विश्व स्तर पर विकासशील देशों की आर्थिक प्रगति में सहयोग करता है। हालांकि, इसकी कुछ नीतियाँ और शर्तें विवादित रही हैं, लेकिन इसके सकारात्मक योगदान को भी नकारा नहीं जा सकता। यदि यह संस्था विकासशील देशों की सामाजिक, सांस्कृतिक और पर्यावरणीय आवश्यकताओं का सम्मान करते हुए काम करे तो यह विश्व की गरीबी हटाने में और अधिक प्रभावी हो सकती है।

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