समकालीन विश्व में सुरक्षा
सुरक्षा का अर्थ –
सुरक्षा का सामान्य अर्थ “किसी व्यक्ति, समाज या राष्ट्र को आंतरिक एवं बाहरी खतरों से बचाना है”। अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में सुरक्षा का आशय उन सभी उपायों से है, जिनके द्वारा किसी राष्ट्र की संप्रभुता, क्षेत्रीय अखंडता और राजनीतिक स्वतंत्रता को सुनिश्चित किया जाता है।
शीत युद्ध के दौरान सुरक्षा का अर्थ केवल सैन्य शक्ति और हथियारों से जुड़ा हुआ था। लेकिन शीत युद्ध समाप्ति के बाद सुरक्षा की परिभाषा में व्यापक परिवर्तन आया। अब सुरक्षा केवल सैन्य या राजनीतिक संदर्भ तक सीमित नहीं रही, बल्कि आर्थिक, सामाजिक, स्वास्थ्य, और पर्यावरण से जुड़ी चिंताएं भी सुरक्षा का हिस्सा बन गई हैं। इस विस्तृत दृष्टिकोण को “व्यापक सुरक्षा” (Comprehensive Security) कहा जाता है।
सुरक्षा के प्रकार
सुरक्षा को मुख्य रूप से दो भागों में बांटा जाता है:
- परंपरागत सुरक्षा (Traditional Security)
- गैर-परंपरागत सुरक्षा (Non-Traditional Security)
परंपरागत सुरक्षा
परंपरागत सुरक्षा वह सुरक्षा है जो सैन्य बल, युद्ध, सैन्य गठबंधनों, कूटनीति, और क्षेत्रीय रक्षा पर केंद्रित होती है।
मुख्य विशेषताएँ–
- राष्ट्रीय सुरक्षा – प्रत्येक राष्ट्र का प्रमुख उद्देश्य अपनी संप्रभुता और सीमा की रक्षा करना होता है।
- सैन्य बल – परंपरागत सुरक्षा में सैनिक, हथियार, मिसाइलें, और युद्धक विमानों का विशेष महत्व होता है।
- युद्ध और संघर्ष – परंपरागत सुरक्षा में यह माना जाता है कि राष्ट्रों के बीच युद्ध एक सामान्य घटना है, और सुरक्षा के लिए इसकी तैयारी आवश्यक है।
- सैन्य गठबंधन – नाटो (NATO) जैसे सैन्य संगठन राष्ट्रों के बीच सुरक्षा व्यवस्था मजबूत करते हैं।
- राज्य केंद्रित दृष्टिकोण – इस सुरक्षा प्रणाली में राष्ट्र को केंद्र बिंदु माना जाता है।
युद्ध के दो प्रकार–
- बड़े युद्ध (Total War) – जिसमें दो या अधिक शक्तिशाली देश पूरी सैन्य क्षमता के साथ युद्ध करते हैं। उदाहरण: प्रथम और द्वितीय विश्व युद्ध।
- सीमित युद्ध (Limited War) – जिसमें सीमित क्षेत्र, सीमित समय और सीमित संसाधनों का उपयोग किया जाता है। उदाहरण: भारत-पाक युद्ध 1965, 1971।
शीत युद्ध के दौरान सुरक्षा
शीत युद्ध के समय में अमेरिका और सोवियत संघ दोनों ने अपने-अपने सैन्य गुट बनाए, जैसे नाटो और वार्सा संधि। इसमें शक्ति संतुलन, सैन्य प्रतियोगिता, और हथियारों की दौड़ (arms race) प्रमुख थे। सुरक्षा का मतलब केवल सैन्य ताकत को बढ़ाना था।
गैर-परंपरागत सुरक्षा (Non-traditional security)-
गैर-परंपरागत सुरक्षा वह है जिसमें सैन्य शक्ति के अलावा अन्य कारक जैसे आर्थिक स्थिरता, पर्यावरणीय सुरक्षा, स्वास्थ्य सुरक्षा, आतंकवाद, खाद्य सुरक्षा आदि शामिल होते हैं। इसका दृष्टिकोण मानव-केन्द्रित है।
- आर्थिक सुरक्षा – गरीबी, बेरोजगारी, आर्थिक असमानता, और वैश्वीकरण से उत्पन्न समस्याएं एक राष्ट्र की सुरक्षा को प्रभावित करती हैं। आर्थिक विकास और स्थिरता आवश्यक हैं।
- पर्यावरणीय सुरक्षा – वनों की कटाई, जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण, प्राकृतिक संसाधनों की कमी जैसे मुद्दे भी राष्ट्रीय और वैश्विक सुरक्षा के लिए खतरा हैं।
- स्वास्थ्य सुरक्षा – महामारियां जैसे एड्स, कोविड-19, मलेरिया आदि अंतर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य संकट बनते जा रहे हैं और सुरक्षा का महत्वपूर्ण पहलू बन गए हैं।
- आतंकवाद – आतंकवाद सीमाओं को नहीं मानता और यह राष्ट्र की आंतरिक व बाह्य सुरक्षा दोनों के लिए गंभीर खतरा है।
- मानव सुरक्षा – इसका तात्पर्य व्यक्तिगत जीवन की सुरक्षा से है। मानवाधिकार, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाएं, और गरीबी उन्मूलन इसके मुख्य भाग हैं।
- प्रवासन और शरणार्थी संकट – युद्ध, आतंकवाद, और आर्थिक असमानता के कारण प्रवासी और शरणार्थियों का संकट भी सुरक्षा के लिए चुनौती है।
सुरक्षा का विस्तृत दृष्टिकोण (Broadening of Security) –
आज सुरक्षा की अवधारणा बदल गई है। पहले जहाँ सुरक्षा का मतलब केवल सेना और युद्ध से था, अब यह आर्थिक, पर्यावरणीय, स्वास्थ्य, और सामाजिक क्षेत्रों तक फैल गई है।
संयुक्त राष्ट्र संघ (UNO) ने भी “मानव सुरक्षा” को अपनी प्राथमिकताओं में शामिल किया है। इसका उद्देश्य केवल राष्ट्र की सुरक्षा नहीं बल्कि हर व्यक्ति की सुरक्षा सुनिश्चित करना है।
भारत की सुरक्षा नीति
भारत की परंपरागत सुरक्षा –
- भारत ने अपनी सैन्य क्षमता को मजबूत बनाया है।
- 1962 में चीन से युद्ध, 1965 व 1971 में पाकिस्तान से युद्ध और 1999 में कारगिल युद्ध भारत की सुरक्षा नीतियों में निर्णायक रहे हैं।
- भारत ने परमाणु शक्ति प्राप्त की और 1998 में पोखरण परमाणु परीक्षण किया।
भारत की गैर-परंपरागत सुरक्षा (Non-traditional security) –
- भारत आतंकवाद से भी जूझ रहा है, विशेषकर जम्मू-कश्मीर, उत्तर-पूर्वी राज्य और शहरी क्षेत्रों में।
- भारत जलवायु परिवर्तन और पर्यावरणीय खतरों से निपटने के लिए कई अंतर्राष्ट्रीय संधियों का हिस्सा है।
- भारत खाद्य सुरक्षा, स्वास्थ्य सेवाओं और शिक्षा पर भी ध्यान दे रहा है।
वर्तमान वैश्विक सुरक्षा चिंताएँ
- आतंकवाद का वैश्वीकरण – जैसे 9/11 की घटना, जिसे किसी एक देश की समस्या नहीं माना जा सकता।
- जलवायु परिवर्तन – जिससे समुद्र स्तर बढ़ रहा है और प्राकृतिक आपदाएं बढ़ रही हैं।
- महामारी – कोविड-19 ने पूरी दुनिया को यह सिखाया कि स्वास्थ्य सुरक्षा भी वैश्विक सुरक्षा का अभिन्न अंग है।
- साइबर सुरक्षा – आज सूचना तकनीक में वृद्धि के साथ साइबर हमले भी सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा बन गए हैं।
निष्कर्ष
समकालीन विश्व में सुरक्षा का दृष्टिकोण अब पहले की तरह संकीर्ण नहीं रहा। अब सुरक्षा का मतलब केवल हथियारों की होड़ या सैन्य शक्ति नहीं है, बल्कि आर्थिक विकास, सामाजिक स्थिरता, पर्यावरण संतुलन, स्वास्थ्य सुविधाएं और व्यक्तिगत अधिकार भी सुरक्षा के अभिन्न भाग हैं।
आज की वैश्विक दुनिया में सहयोग और संवाद ही स्थायी सुरक्षा की कुंजी हैं। सभी देशों को मिलकर पारंपरिक और गैर-परंपरागत दोनों तरह की चुनौतियों का समाधान करना होगा, तभी हम एक सुरक्षित और स्थिर विश्व की कल्पना कर सकते हैं।