भारत के रूस और अन्य साम्यवादी देशों से संबंध
“विश्व राजनीति में नई संस्थाएँ” विषय के अंतर्गत रूस, बाल्कन राज्य, मध्य एशियाई राज्य, तथा रूस और अन्य साम्यवादी देशों के साथ भारत के संबंधों के संक्षिप्त एवं महत्वपूर्ण बिंदु दिए जा रहे हैं:
विश्व राजनीति में नई संस्थाएँ
- रूस (पूर्व सोवियत संघ)
- 1991 में सोवियत संघ के विघटन के बाद रूस एक स्वतंत्र राष्ट्र बना।
- रूस ने लोकतंत्र और पूंजीवादी अर्थव्यवस्था को अपनाया।
- वैश्विक शक्ति के रूप में रूस का प्रभाव बना रहा।
- रूस, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य है।
- बाल्कन राज्य
- बाल्कन क्षेत्र में 1990 के दशक में युगोस्लाविया का विघटन हुआ।
- इसके बाद कई स्वतंत्र राष्ट्र बने: सर्बिया, क्रोएशिया, स्लोवेनिया, बोस्निया-हर्जेगोविना, मोंटेनेग्रो, मैसेडोनिया, और कोसोवो।
- बाल्कन क्षेत्र में जातीय संघर्ष और गृह युद्ध भी हुए।
- नाटो और संयुक्त राष्ट्र ने शांति बनाए रखने में भूमिका निभाई।
- मध्य एशियाई राज्य
- सोवियत संघ के टूटने के बाद मध्य एशिया में नए स्वतंत्र राष्ट्र बने: कजाकिस्तान, उज्बेकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान, किर्गिज़स्तान और ताजिकिस्तान।
- यह क्षेत्र ऊर्जा संसाधनों (तेल और गैस) के लिए महत्वपूर्ण है।
- भारत, चीन, रूस, अमेरिका जैसे देशों ने इस क्षेत्र में रणनीतिक रुचि दिखाई।
- भारत ने ‘कनेक्ट सेंट्रल एशिया पॉलिसी’ के माध्यम से इन देशों से संबंध मजबूत किए।
भारत के रूस और अन्य साम्यवादी देशों से संबंध
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
1950 के दशक से भारत और सोवियत संघ के बीच घनिष्ठ संबंधों की शुरुआत हुई। शीत युद्ध के समय जब पश्चिमी देश पाकिस्तान के करीब थे, उस समय सोवियत संघ ने भारत का समर्थन किया। 1971 के भारत-पाक युद्ध के समय सोवियत संघ ने भारत का खुला समर्थन किया, जिससे भारत-बांग्लादेश की विजय सुनिश्चित हुई। 1971 में दोनों देशों ने ‘भारत-सोवियत मैत्री संधि’ पर हस्ताक्षर किए जो आपसी सहयोग और विश्वास की मजबूत नींव बनी।
राजनीतिक संबंध
आज रूस, भारत के सबसे महत्वपूर्ण रणनीतिक साझेदारों में से एक है। दोनों देश बहुपक्षीय मंचों जैसे संयुक्त राष्ट्र, BRICS, SCO, और G20 में मिलकर कार्य करते हैं। रूस ने हमेशा कश्मीर मुद्दे पर भारत का समर्थन किया है और आतंकवाद के खिलाफ भारत के रुख का समर्थन भी किया है।
रक्षा सहयोग
भारत और रूस के बीच रक्षा सहयोग बहुत मजबूत है। भारत के सैन्य उपकरणों का बड़ा हिस्सा रूस से आता है। भारत ने रूस से मिग-21, सुखोई-30, T-90 टैंक, S-400 मिसाइल प्रणाली जैसी अत्याधुनिक रक्षा प्रणालियाँ खरीदी हैं। दोनों देशों ने ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल को भी संयुक्त रूप से विकसित किया है।
आर्थिक संबंध
हाल के वर्षों में भारत और रूस ने अपने व्यापारिक और आर्थिक संबंधों को भी सुदृढ़ किया है। दोनों देश ऊर्जा क्षेत्र में गहराई से सहयोग कर रहे हैं। भारत, रूस से बड़ी मात्रा में कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस और रक्षा उपकरण खरीदता है। रूस, भारत के परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम में भी एक महत्वपूर्ण भागीदार है, जैसे कि कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा परियोजना।
सांस्कृतिक और शैक्षिक संबंध
भारत और रूस के बीच सांस्कृतिक संबंध भी पुराने और मजबूत हैं। भारतीय फिल्मों, योग, और आयुर्वेद का रूस में व्यापक प्रभाव है। दोनों देशों के बीच छात्र आदान-प्रदान कार्यक्रम भी होते हैं, जिससे भारतीय छात्र उच्च शिक्षा के लिए रूस जाते हैं।
हालिया विकास
भारत और रूस के बीच रुपये-रूबल व्यापार की कोशिशें भी जारी हैं ताकि अमेरिकी डॉलर पर निर्भरता कम की जा सके। इसके अलावा दोनों देश आर्कटिक क्षेत्र, साइबर सुरक्षा, अंतरिक्ष सहयोग और उभरती प्रौद्योगिकियों जैसे कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) में भी सहयोग बढ़ा रहे हैं।
- शीत युद्ध के समय से भारत और रूस (तत्कालीन सोवियत संघ) के मजबूत रणनीतिक, रक्षा, और आर्थिक संबंध रहे हैं।
- रूस भारत का प्रमुख रक्षा सहयोगी रहा है।
- रूस ने भारत की परमाणु ऊर्जा, अंतरिक्ष और रक्षा क्षेत्र में सहयोग किया है।
- आज भी भारत-रूस संबंध मैत्रीपूर्ण और सहयोगी हैं।
भारत और अन्य साम्यवादी देश:
- भारत ने चीन, क्यूबा, वियतनाम जैसे अन्य साम्यवादी देशों से भी सहयोग बनाए रखा।
- भारत ने गुटनिरपेक्ष नीति के तहत साम्यवादी और पूंजीवादी दोनों पक्षों से संतुलित संबंध बनाए।
- वियतनाम और क्यूबा से भारत के राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक संबंध मजबूत हुए।
निष्कर्ष:
भारत ने कभी पूर्ण साम्यवादी मार्ग नहीं अपनाया, लेकिन साम्यवादी विचारधारा ने इसके सामाजिक और आर्थिक नीतियों को अवश्य प्रभावित किया है। भारत का झुकाव लोकतंत्र और मिश्रित अर्थव्यवस्था की ओर रहा है जबकि अन्य साम्यवादी देशों में सत्ता आमतौर पर एक दल के हाथों में केंद्रित रही है। भारत ने विश्व के साम्यवादी देशों के साथ संतुलित और व्यावहारिक संबंध बनाए रखे हैं।