द्विध्रुवीयता का अंत – “सोवियत संघ का विघटन”
Disintegration of Soviet Union in Hindi
सोवियत संघ का विघटन
सोवियत संघ, जिसे USSR (Union of Soviet Socialist Republics) कहा जाता है, 1922 में रूस, यूक्रेन, बेलारूस और अन्य गणराज्यों को मिलाकर बना था। यह विश्व की पहली समाजवादी व्यवस्था पर आधारित राष्ट्र था, जिसका नेतृत्व कम्युनिस्ट पार्टी के हाथों में था। सोवियत संघ का मुख्य उद्देश्य समाजवाद को स्थापित करना, समाज में समानता लाना और पूंजीवाद को समाप्त करना था। संघ का विघटन 26 दिसंबर, 1991 को हुआ |
विघटन के मुख्य कारण
- आर्थिक समस्याएँ
सोवियत संघ की राज्य नियंत्रित अर्थव्यवस्था लंबे समय तक सफल रही, लेकिन 1970 के दशक के बाद इसमें गिरावट आनी शुरू हो गई। उपभोक्ता वस्तुओं की भारी कमी, कृषि उत्पादन में ठहराव, और तकनीकी पिछड़ापन ने अर्थव्यवस्था को जड़ बना दिया। पंचवर्षीय योजनाएँ असफल हो रही थीं और भ्रष्टाचार बढ़ता जा रहा था।
- राजनीतिक असंतोष और दमन
सोवियत संघ में राजनीतिक स्वतंत्रता नहीं थी। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, प्रेस की स्वतंत्रता और चुनाव की निष्पक्षता पर प्रतिबंध था। जनता धीरे-धीरे सरकार के विरुद्ध असंतुष्ट होने लगी। सरकार की सख्त नीतियों के कारण विरोध करने वालों को जेल या मृत्युदंड दिया जाता था।
- मिखाइल गोर्बाचोव के सुधार (Perestroika और Glasnost)
1985 में मिखाइल गोर्बाचोव सोवियत संघ के राष्ट्रपति बने। उन्होंने दो बड़े सुधार लाए:
- पेरेस्त्रोइका (Perestroika) – आर्थिक पुनर्गठन के लिए।
- ग्लासनोस्त (Glasnost) – राजनीतिक पारदर्शिता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए।
इन सुधारों का उद्देश्य व्यवस्था को लचीला बनाना था, लेकिन इससे सत्ता पर जनता का विश्वास और अधिक डगमगाने लगा।
- राष्ट्रवादी आंदोलनों का उदय
सोवियत संघ में 15 गणराज्य थे। जैसे ही गोर्बाचोव ने थोड़ी स्वतंत्रता दी, इन गणराज्यों में स्वतंत्रता की माँग तेज हो गई। बाल्टिक देशों (लिथुआनिया, लातविया, एस्टोनिया), यूक्रेन, जॉर्जिया, और अन्य राज्यों ने सोवियत संघ से अलग होने की माँग शुरू कर दी।
- शीत युद्ध का बोझ
अमेरिका के साथ शीत युद्ध में सोवियत संघ ने बहुत अधिक धन खर्च किया। हथियारों की होड़, अफगानिस्तान युद्ध, और वैश्विक प्रतिस्पर्धा के कारण सोवियत संघ की आर्थिक स्थिति और बिगड़ गई। अमेरिका की “स्टार वार्स” (Strategic Defense Initiative) जैसी योजनाओं ने भी सोवियत संघ पर दबाव बढ़ा दिया।
- असफल तख्तापलट प्रयास (1991)
अगस्त 1991 में कट्टर कम्युनिस्टों ने गोर्बाचोव की सरकार को हटाने के लिए तख्तापलट करने की कोशिश की। हालांकि यह असफल रहा, लेकिन इससे सोवियत संघ की कमजोरी खुलकर सामने आ गई। इसके बाद रूस के राष्ट्रपति बोरिस येल्त्सिन का प्रभाव बढ़ा और केंद्रीय सत्ता कमजोर होती चली गई।
विघटन की प्रक्रिया
- 1989 में पूर्वी यूरोप के समाजवादी देशों में क्रांतियाँ होने लगीं। पोलैंड, हंगरी, चेकोस्लोवाकिया, और जर्मनी में कम्युनिस्ट सरकारें गिर गईं।
- 1990 में बाल्टिक देशों ने स्वतंत्रता की घोषणा कर दी।
- 1991 में यूक्रेन, बेलारूस और रूस ने बेलावेज़ा समझौते पर हस्ताक्षर किए, जिसमें सोवियत संघ के विघटन की घोषणा की गई।
- 25 दिसंबर 1991 को मिखाइल गोर्बाचोव ने औपचारिक रूप से अपने राष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दिया और सोवियत संघ का अंत हो गया।
सोवियत संघ के विघटन के परिणाम
- नई स्वतंत्र गणराज्यों का निर्माण
सोवियत संघ के विघटन के बाद 15 स्वतंत्र देश अस्तित्व में आए, जैसे रूस, यूक्रेन, बेलारूस, कजाकिस्तान, लिथुआनिया आदि।
- शीत युद्ध का अंत
सोवियत संघ के विघटन के साथ ही शीत युद्ध समाप्त हो गया। अमेरिका विश्व की अकेली महाशक्ति बनकर उभरा।
- वैश्वीकरण का विस्तार
सोवियत संघ के विघटन के बाद पूर्व सोवियत देशों ने खुले बाजार की ओर कदम बढ़ाए, जिससे वैश्वीकरण की प्रक्रिया तेज हुई।
- राजनीतिक और आर्थिक अस्थिरता
कई नए देशों को आर्थिक संकट, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार और राजनीतिक संघर्षों का सामना करना पड़ा। कुछ देशों में गृहयुद्ध भी हुए।
- रूस की नई भूमिका
रूस ने सोवियत संघ का स्थान लिया लेकिन उसकी शक्ति में गिरावट आई। धीरे-धीरे रूस ने अपनी वैश्विक स्थिति पुनः मजबूत करने का प्रयास किया।
निष्कर्ष
सोवियत संघ का विघटन 20वीं सदी की सबसे बड़ी राजनीतिक घटनाओं में से एक है। यह घटना इस बात का प्रमाण है कि किसी भी सत्ता को केवल बल प्रयोग और दमन से लंबे समय तक टिकाए नहीं रखा जा सकता। यदि किसी राष्ट्र की जनता की आकांक्षाएँ पूरी नहीं होती हैं और यदि शासन व्यवस्था लचीली नहीं होती, तो वह राष्ट्र टूट सकता है। सोवियत संघ के विघटन से यह भी स्पष्ट होता है कि आर्थिक प्रगति और राजनीतिक स्वतंत्रता का संतुलन आवश्यक है। आज भी सोवियत संघ का इतिहास विश्व राजनीति को दिशा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।