समकालीन दक्षिण एशिया
प्रस्तावना:
दक्षिण एशिया विश्व के प्रमुख क्षेत्रों में से एक है, जिसमें भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका, नेपाल, भूटान और मालदीव जैसे देश शामिल हैं। यह क्षेत्र ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक और आर्थिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। आज दक्षिण एशिया कई अवसरों और चुनौतियों का क्षेत्र है, जहां विभिन्न देशों के आपसी संबंधों में सहयोग और संघर्ष दोनों ही मौजूद हैं।
दक्षिण एशिया के देश और उनकी विशेषताएँ
दक्षिण एशिया में निम्नलिखित देश शामिल हैं:
- भारत (India)
- सबसे बड़ा और सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश।
- सबसे बड़ी लोकतांत्रिक व्यवस्था।
- दक्षिण एशिया की अर्थव्यवस्था में मुख्य भूमिका।
- पाकिस्तान (Pakistan)
- 1947 में भारत से अलग हुआ।
- मुख्यतः इस्लामिक देश।
- भारत के साथ कई युद्ध एवं तनावपूर्ण संबंध।
- बांग्लादेश (Bangladesh)
- 1971 में पाकिस्तान से स्वतंत्र हुआ।
- तेजी से विकास करता हुआ देश।
- नेपाल (Nepal)
- एकमात्र हिंदू बहुल राष्ट्र।
- 2008 में राजशाही समाप्त होकर लोकतंत्र की स्थापना।
- श्रीलंका (Sri Lanka)
- बहुसांस्कृतिक देश।
- तमिल अलगाववादी आंदोलन और 2009 में समाप्त हुआ गृहयुद्ध।
- भूटान (Bhutan)
- दुनिया का सबसे खुशहाल देश माने जाने वाला।
- संवैधानिक राजशाही।
- मालदीव (Maldives)
- समुद्री द्वीप समूह।
- पर्यटन आधारित अर्थव्यवस्था।
दक्षिण एशिया की राजनीतिक स्थिति
- दक्षिण एशिया में लोकतंत्र और तानाशाही दोनों तरह के शासन देखने को मिलते हैं।
- भारत, नेपाल, बांग्लादेश और श्रीलंका में लोकतांत्रिक सरकारें हैं।
- पाकिस्तान में सेना का लंबे समय तक प्रभाव रहा है।
- भूटान में संवैधानिक राजशाही है।
भारत और उसके पड़ोसी देशों के संबंध
- भारत-पाकिस्तान संबंध
- विभाजन के बाद से दोनों देशों के बीच कश्मीर का मुद्दा सबसे बड़ा विवाद है।
- 1947, 1965 और 1999 में दोनों देशों के बीच युद्ध हुए।
- सीमाओं पर समय-समय पर तनाव।
- दोनों देशों में परमाणु हथियार हैं, जिससे क्षेत्र में अस्थिरता बनी रहती है।
- भारत-बांग्लादेश संबंध
- 1971 में भारत ने बांग्लादेश की आज़ादी में सहायता की थी।
- जल बंटवारे, सीमा विवाद, अवैध आप्रवासन जैसे मुद्दे हैं।
- हाल के वर्षों में संबंधों में सुधार हुआ है।
- भारत-नेपाल संबंध
- ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रूप से घनिष्ठ संबंध।
- नेपाल भारत पर व्यापार और ट्रांजिट के लिए काफी निर्भर है।
- चीन की बढ़ती उपस्थिति के कारण भारत को नई चुनौतियाँ।
- भारत-श्रीलंका संबंध
- सांस्कृतिक और आर्थिक संपर्क।
- तमिल समस्या के कारण कुछ समय तक तनावपूर्ण संबंध रहे।
- अब संबंध सामान्य हैं और व्यापारिक साझेदारी बढ़ रही है।
- भारत-भूटान संबंध
- अत्यंत मधुर और सहयोगपूर्ण।
- भारत भूटान का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है।
- भारत-मालदीव संबंध
- भारत “नेबरहुड फर्स्ट” नीति के तहत मालदीव के साथ मजबूत संबंध बनाए रखने का प्रयास कर रहा है।
- चीन की बढ़ती उपस्थिति यहाँ भी चिंता का विषय है।
क्षेत्रीय संगठन – सार्क (SAARC)
- स्थापना: 1985 में।
- सदस्य देश: भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका, नेपाल, भूटान, मालदीव, अफगानिस्तान।
- उद्देश्य: दक्षिण एशियाई देशों में आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक सहयोग को बढ़ाना।
- अवरोध: भारत-पाकिस्तान के विवादों के कारण संगठन की प्रगति धीमी रही है।
प्रमुख समस्याएँ
- सीमा विवाद
- भारत-पाकिस्तान: कश्मीर मुद्दा।
- भारत-चीन: अरुणाचल प्रदेश और लद्दाख में सीमा विवाद।
- आतंकवाद
- पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद भारत और अफगानिस्तान के लिए प्रमुख समस्या।
- श्रीलंका में लिट्टे जैसे संगठनों का आतंकवाद पहले बड़ी समस्या था।
- गरीबी और बेरोजगारी
- दक्षिण एशिया के अधिकांश देशों में गरीबी, बेरोजगारी, और असमानता की समस्या है।
- जल संकट
- नदियों के जल बंटवारे को लेकर कई देशों में विवाद।
- गंगा, ब्रह्मपुत्र, सिंधु नदी विवादित नदियाँ हैं।
- पर्यावरणीय चुनौतियाँ
- जलवायु परिवर्तन, समुद्र स्तर में वृद्धि (मालदीव के लिए गंभीर खतरा)।
- प्राकृतिक आपदाएँ जैसे भूकंप, बाढ़, चक्रवात आम हैं।
सहयोग की संभावनाएँ
- आर्थिक सहयोग
- सार्क जैसे संगठन क्षेत्रीय व्यापार को बढ़ा सकते हैं।
- आपसी व्यापार और ऊर्जा साझेदारी से क्षेत्र को लाभ मिल सकता है।
- सांस्कृतिक आदान-प्रदान
- धर्म, भाषा और संस्कृति की समानता देशों को जोड़ती है।
- पर्यटन क्षेत्र में आपसी सहयोग की बड़ी संभावना है।
- क्षेत्रीय शांति और सुरक्षा
- आतंकवाद के खिलाफ संयुक्त प्रयास।
- सीमा विवादों का शांतिपूर्ण समाधान।
- आपदा प्रबंधन
- प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए क्षेत्रीय स्तर पर सहयोग आवश्यक है।
भारत की “नेबरहुड फर्स्ट” नीति
- भारत अपने पड़ोसी देशों के साथ अच्छे संबंधों को प्राथमिकता दे रहा है।
- आर्थिक सहायता, आधारभूत संरचना निर्माण, और सुरक्षा सहयोग के माध्यम से भारत दक्षिण एशिया में स्थिरता बनाए रखना चाहता है।
निष्कर्ष
दक्षिण एशिया संभावनाओं और समस्याओं का मिश्रण है। यह क्षेत्र सांस्कृतिक रूप से जुड़ा हुआ है, लेकिन राजनीतिक और आर्थिक विवाद इसे विभाजित करते हैं। भारत की भूमिका इस क्षेत्र में सबसे प्रभावशाली है और उसकी नीतियाँ पूरे दक्षिण एशिया के भविष्य को प्रभावित करती हैं। यदि दक्षिण एशियाई देश आपसी विवादों को सुलझाकर सहयोग बढ़ाएँ, तो यह क्षेत्र विश्व का एक शक्तिशाली और समृद्ध भाग बन सकता है।