नेपाल में राजशाही और लोकतंत्र
परिचय
नेपाल एक हिमालयी देश है, जिसका राजनीतिक इतिहास काफी दिलचस्प और जटिल रहा है। यहाँ पहले राजशाही (मोनार्की) का शासन था, जो बाद में लोकतंत्र में परिवर्तित हुआ। नेपाल के राजनीतिक इतिहास में राजशाही और लोकतंत्र के बीच संघर्ष और समायोजन की लंबी प्रक्रिया रही है। यह नोट्स नेपाल के राजशाही शासन और लोकतांत्रिक प्रणाली के इतिहास, विकास, संघर्ष, और वर्तमान स्थिति पर विस्तृत रूप से चर्चा करेंगे।
नेपाल में राजशाही का इतिहास
नेपाल में राजशाही का शासन लगभग 18वीं सदी से प्रारंभ हुआ। इसका प्रारंभ शाह वंश (Shah Dynasty) से माना जाता है, जिसकी स्थापना पृथ्वी नारायण शाह ने की। पृथ्वी नारायण शाह ने नेपाल को विभिन्न छोटे-छोटे राज्य और रियासतों से एकजुट कर एक संगठित राजशाही राज्य बनाया।
- पृथ्वी नारायण शाह का योगदान: उन्होंने नेपाल के विभिन्न हिस्सों को एक करके एक समृद्ध और सुदृढ़ राज्य बनाया।
- राजशाही का विस्तार: शाह वंश के बाद नेपाल में कई शासकों ने राजशाही को मजबूत किया।
- राजशाही का स्वरूप: नेपाल की राजशाही पूर्ण राजशाही (Absolute Monarchy) थी, जिसमें राजा के पास सभी शक्तियां होती थीं।
नेपाल की पूर्ण राजशाही (Absolute Monarchy)
- नेपाल में अधिकांश समय राजा के पास सर्वोच्च सत्ता थी।
- प्रशासन, न्याय, और सेना पर राजा का पूर्ण नियंत्रण था।
- जनता के पास राजनीतिक अधिकार सीमित थे।
- राजा के फैसलों पर कोई पारदर्शिता या जवाबदेही नहीं होती थी।
- 19वीं और 20वीं सदी के प्रारंभिक दौर में नेपाल की राजशाही ने विदेश नीति, सैन्य और आंतरिक प्रशासन पर पूर्ण नियंत्रण बनाए रखा।
नेपाल में लोकतंत्र की शुरूआत
नेपाल में लोकतंत्र की शुरूआत 20वीं सदी के मध्य में हुई। विश्व के अन्य हिस्सों में लोकतांत्रिक आंदोलनों से प्रेरित होकर नेपाल में भी जनता ने राजनीतिक अधिकारों और लोकतांत्रिक शासन की मांग शुरू कर दी।
- 1950 का आंदोलन: नेपाल में पहली बार राजशाही के विरुद्ध जन आंदोलन हुआ, जिसे ‘लोकतांत्रिक क्रांति’ कहा जाता है।
- राजा त्रिभुवन का योगदान: राजा त्रिभुवन ने जन आंदोलन के दबाव में 1951 में पूर्ण राजशाही को समाप्त कर संवैधानिक राजशाही का मार्ग प्रशस्त किया।
- 1951 का संवैधानिक सुधार: नेपाल में संवैधानिक राजशाही की स्थापना हुई, जहाँ राजा के साथ-साथ संसद भी अस्तित्व में आया।
- पहली बहुदलीय व्यवस्था: नेपाल में पहली बार बहुदलीय लोकतंत्र की शुरुआत हुई।
नेपाल की संवैधानिक राजशाही और लोकतांत्रिक प्रणाली
- संवैधानिक राजशाही में राजा के अधिकार सीमित कर दिए गए।
- संसद और प्रधानमंत्री का पद स्थापित हुआ।
- 1951 से 1960 तक नेपाल में बहुदलीय लोकतंत्र का दौर रहा।
- जनता को राजनीतिक अधिकार मिले और चुनाव हुए।
- राजनीतिक दल सक्रिय हुए, जैसे नेपाल कांग्रेस।
राजशाही का पुनरुत्थान और पंचायती व्यवस्था (1960-1990)
- 1960 में राजा महेन्द्र ने एक बार फिर से सत्ता पर कड़ा नियंत्रण कर दिया और लोकतंत्र को समाप्त कर दिया।
- उन्होंने ‘पंचायती व्यवस्था’ लागू की, जो एक तरह की निरंकुश राजशाही थी, लेकिन नाम में लोकतांत्रिक दिखती थी।
- पंचायती व्यवस्था में राजनीतिक दलों पर प्रतिबंध था।
- राजा के पास फिर से व्यापक शक्तियाँ लौट आईं।
- यह व्यवस्था लगभग 30 वर्षों तक चली।
लोकतंत्र की पुनर्स्थापना (1990 का जनआंदोलन)
- 1990 में नेपाल में जनक्रांति हुई, जिसे ‘जनआन्दोलन’ या ‘पिपल्स मूवमेंट’ कहा जाता है।
- यह आंदोलन राजशाही के निरंकुश शासन के विरुद्ध था।
- जनता ने बहुदलीय लोकतंत्र और संविधान की मांग की।
- राजा ने जनआंदोलन के दबाव में पुनः संवैधानिक राजशाही स्वीकार की।
- नए संविधान के तहत बहुदलीय लोकतंत्र की स्थापना हुई।
- नेपाल में संसदीय प्रणाली लागू हुई।
नेपाल में गणतंत्र की स्थापना (2008)
- 1990 के बाद भी नेपाल में राजनीतिक अस्थिरता और संघर्ष जारी रहे।
- 1996 से नेपाल में माओवादी (Maoist) विद्रोह शुरू हुआ, जो राजशाही के खिलाफ था।
- 2006 में जनता और माओवादी के संयुक्त आंदोलन ने राजा को सत्ता से हटाया।
- 2008 में नेपाल ने आधिकारिक रूप से राजशाही समाप्त कर गणतंत्र की स्थापना की।
- राजा का पद समाप्त हुआ और नेपाल एक संघीय लोकतांत्रिक गणराज्य बन गया।
- नेपाल का संविधान 2015 में लागू हुआ, जिसमें लोकतंत्र को मजबूत आधार मिला।
नेपाल में लोकतंत्र की वर्तमान स्थिति
- नेपाल में वर्तमान में एक संघीय लोकतांत्रिक गणराज्य है।
- संसद, राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और न्यायपालिका स्वतंत्र हैं।
- राजनीतिक दल सक्रिय हैं और चुनाव नियमित रूप से होते हैं।
- नेपाल में अभी भी राजनीतिक अस्थिरता और चुनौतियाँ हैं, लेकिन लोकतंत्र को बढ़ावा दिया जा रहा है।
- जनता के पास अपने प्रतिनिधियों को चुनने का अधिकार है।
नेपाल में राजशाही और लोकतंत्र के बीच संघर्ष के कारण
- राजशाही ने परंपरागत और निरंकुश सत्ता संरचना को बनाए रखा।
- लोकतंत्र ने राजनीतिक अधिकारों, स्वतंत्रता और जवाबदेही की मांग की।
- जनता की बढ़ती जागरूकता ने लोकतंत्र के पक्ष में दबाव बढ़ाया।
- माओवादी विद्रोह और जनआंदोलन ने राजशाही को खत्म करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक बदलाव ने भी लोकतंत्र को बढ़ावा दिया।
निष्कर्ष
नेपाल का राजनीतिक इतिहास राजशाही और लोकतंत्र के संघर्ष का इतिहास है।
राजशाही से संवैधानिक राजशाही, फिर पंचायती व्यवस्था, और अंततः पूर्ण लोकतंत्र की ओर नेपाल ने लंबा सफर तय किया।
वर्तमान नेपाल में लोकतंत्र स्थापित है, लेकिन इसकी मजबूती के लिए निरंतर प्रयास जरूरी हैं।
नेपाल की राजनीतिक यात्रा हमें यह सिखाती है कि लोकतंत्र के लिए संघर्ष और जनता की भागीदारी अत्यंत महत्वपूर्ण है।