अन्तराष्ट्रीय मुद्रा कोष IMF ||

अन्तराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF)

अन्तरराष्ट्रीय मुद्रा कोष – आई.एम.एफ.-

अन्तराष्ट्रीय मुद्रा कोष (International Monetary Fund – IMF) एक वैश्विक वित्तीय संस्था है, जिसकी स्थापना 1944 में ब्रेटन वुड्स सम्मेलन (Bretton Woods Conference) में की गई थी। इसका मुख्य उद्देश्य अन्तरराष्ट्रीय मौद्रिक सहयोग को बढ़ावा देना, विश्व व्यापार को सुविधाजनक बनाना, सदस्य देशों को वित्तीय सहायता प्रदान करना तथा वैश्विक आर्थिक स्थिरता बनाए रखना है।

इसका मुख्यालय अमेरिका के वॉशिंगटन डी.सी. में स्थित है। इसकी सदस्यता में वर्तमान में लगभग 190 देश शामिल हैं।

International Monetary Fund की स्थापना

  • स्थापना वर्ष: 27 दिसम्बर 1945
  • कार्यक्षमता प्रारम्भ: 1 मार्च 1947
  • मुख्यालय: वॉशिंगटन डी.सी., अमेरिका
  • वर्तमान प्रबंध निदेशक: (2025 तक) क्रिस्टालिना जॉर्जीवा

आई.एम.एफ. की सदस्यता

  • आई.एम.एफ. की सदस्यता वैश्विक है। कोई भी देश इसका सदस्य बन सकता है।
    प्रत्येक सदस्य देश का आई.एम.एफ. में भाग (Quota) होता है, जिसके आधार पर:
  • उस देश को वोटिंग पावर मिलता है।
  • उस देश को वित्तीय सहायता का स्तर निर्धारित होता है।

आई.एम.एफ. के उद्देश्य

  • अन्तराष्ट्रीय मौद्रिक सहयोग को बढ़ावा देना।
  • वैश्विक आर्थिक स्थिरता बनाए रखना।
  • अन्तराष्ट्रीय व्यापार का विस्तार करना।
  • मुद्रा विनिमय दरों में स्थिरता लाना।
  • सदस्य देशों को भुगतान संतुलन में सहायता प्रदान करना।
  • आर्थिक संकट में फंसे देशों को ऋण देना।
  • विश्व में गरीबी को कम करना और विकासशील देशों को समर्थन देना।

IMF के कार्य

वित्तीय सहायता प्रदान करना जब किसी देश को विदेशी मुद्रा की कमी होती है, तो आई.एम.एफ. उस देश को ऋण देता है ताकि वह अपने आयात, कर्ज भुगतान और आवश्यक वित्तीय जरूरतों को पूरा कर सके।

नीतिगत सलाह देनाआई.एम.एफ. सदस्य देशों को आर्थिक नीति, राजकोषीय नीति, मौद्रिक नीति और संरचनात्मक सुधारों के विषय में सलाह देता है।

तकनीकी सहायताआई.एम.एफ. सदस्य देशों के वित्तीय संस्थानों, कर व्यवस्था और सांख्यिकी तंत्र को मजबूत बनाने में सहायता करता है।

अन्तरराष्ट्रीय भुगतान संतुलन की निगरानी आई.एम.एफ. सदस्य देशों की आर्थिक गतिविधियों, व्यापार घाटे और मुद्रा विनिमय दरों पर नजर रखता है।

आई.एम.एफ. के वित्तीय साधनआई.एम.एफ. के पास जो धन होता है, वह मुख्य रूप से इसके सदस्य देशों द्वारा दिए गए कोटे (Quota) से आता है। प्रत्येक देश का कोटा उसके आर्थिक आकार और विश्व व्यापार में उसकी भागीदारी के अनुसार निर्धारित किया जाता है।

आई.एम.एफ. देशों को निम्नलिखित माध्यमों से सहायता करता है:

  • Stand-by Arrangements (SBA)
  • Extended Fund Facility (EFF)
  • Poverty Reduction and Growth Trust (PRGT)
IMF के लाभ

अन्तराष्ट्रीय आर्थिक स्थिरताआई.एम.एफ. के प्रयासों से वैश्विक मौद्रिक प्रणाली स्थिर बनी रहती है।

विकासशील देशों को सहायताआर्थिक संकट से जूझ रहे देशों को त्वरित वित्तीय सहायता मिलती है।

मुद्रा संकट में मददमुद्रा अवमूल्यन या विदेशी मुद्रा भंडार की कमी होने पर आई.एम.एफ. सहायता देता है।

सुधारात्मक नीतियों का प्रोत्साहनआई.एम.एफ. आर्थिक नीतियों में सुधार और राजकोषीय अनुशासन के लिए सदस्य देशों को प्रोत्साहित करता है।

आई.एम.एफ. की सीमाएँ

कठोर शर्तेंआई.एम.एफ. द्वारा दिए जाने वाले ऋणों के बदले में कई बार ऐसे कठोर आर्थिक सुधार लागू करने की शर्तें रखी जाती हैं, जो गरीबों और मध्यम वर्ग को प्रभावित करती हैं।

अमेरिका और विकसित देशों का वर्चस्वआई.एम.एफ. में वोटिंग पावर सदस्य देशों के कोटे के अनुसार होता है, जिसके कारण अमेरिका और यूरोपीय देशों का प्रभाव ज्यादा है।

संप्रभुता में हस्तक्षेप – आई.एम.एफ. कभी-कभी देशों की नीतियों में अधिक दखल देता है, जो उनकी आर्थिक संप्रभुता को प्रभावित करता है।

असमान विकास – आई.एम.एफ. की नीतियाँ कभी-कभी अमीर देशों के हितों की रक्षा करती हैं और गरीब देशों के लिए कठोर हो जाती हैं।

भारत और आई.एम.एफ. का सम्बन्ध
  • भारत आई.एम.एफ. का एक सक्रिय सदस्य है।
  • भारत को 1991 के आर्थिक संकट के दौरान आई.एम.एफ. से महत्वपूर्ण सहायता मिली थी।
  • भारत समय-समय पर आई.एम.एफ. की सलाहों के अनुसार अपने आर्थिक सुधार करता रहा है।
भारत द्वारा उठाए गए कदम
  • विदेशी निवेश को प्रोत्साहित करना।
  • मौद्रिक और राजकोषीय अनुशासन लाना।
  • बाजार आधारित विनियमन अपनाना।
  • नवाचार और वैश्वीकरण को बढ़ावा देना।
निष्कर्ष

अन्तराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आई.एम.एफ.) वैश्विक वित्तीय व्यवस्था का एक महत्वपूर्ण स्तम्भ है, जो विश्व में आर्थिक स्थिरता, मुद्रा विनिमय दरों की निगरानी और संकटग्रस्त देशों को वित्तीय सहायता प्रदान करता है। हालांकि इसकी कुछ नीतियाँ विवादास्पद भी रही हैं, फिर भी वैश्विक आर्थिक सहयोग में आई.एम.एफ. की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है।

भारत जैसे विकासशील देशों के लिए आई.एम.एफ. की सलाह और सहायता आर्थिक सुधारों में सहायक रही है। लेकिन आई.एम.एफ. को यह भी ध्यान रखना चाहिए कि उसकी नीतियाँ गरीब और मध्यम वर्ग के हितों के खिलाफ न हों।

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