सत्ता के समकालीन केंद्र || उभरती शक्तियों के रूप में जापान और दक्षिण कोरिया ||

उभरती शक्तियों के रूप में जापान और दक्षिण कोरिया

भूमिका:

विश्व राजनीति और वैश्विक अर्थव्यवस्था में उभरती शक्तियों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण होती जा रही है। जापान और दक्षिण कोरिया दो ऐसे देश हैं जो अपने आर्थिक, तकनीकी, और सांस्कृतिक विकास के कारण वैश्विक स्तर पर प्रभावशाली भूमिका निभा रहे हैं। इन दोनों देशों ने युद्ध, राजनीतिक संघर्ष, और प्राकृतिक आपदाओं के बावजूद तेज़ी से प्रगति की है और आज वे विश्व में महाशक्तियों के रूप में उभर रहे हैं।

जापान: एक वैश्विक शक्ति के रूप में

  1. ऐतिहासिक पृष्ठभूमि:
  • द्वितीय विश्व युद्ध में जापान की हार के बाद उसे भारी तबाही का सामना करना पड़ा।
  • युद्ध के बाद जापान ने ‘अमेरिकी सहायता’ और ‘आर्थिक पुनर्निर्माण’ की नीति अपनाई।
  • जापान ने सैन्य विस्तार से हटकर आर्थिक विकास पर ध्यान केंद्रित किया।
  1. आर्थिक चमत्कार:
  • 1950 से 1990 तक जापान में अभूतपूर्व औद्योगिक विकास हुआ।
  • जापान की अर्थव्यवस्था ‘उन्नत तकनीक’ और ‘गुणवत्ता निर्माण’ पर आधारित है।
  • ऑटोमोबाइल (Toyota, Honda) और इलेक्ट्रॉनिक्स (Sony, Panasonic) के क्षेत्र में जापान ने वैश्विक बाजार में शीर्ष स्थान प्राप्त किया।
  1. तकनीकी प्रगति:
  • जापान रोबोटिक्स, सूचना प्रौद्योगिकी और नैनो टेक्नोलॉजी में अग्रणी है।
  • Bullet Train (Shinkansen) जैसे विश्व स्तरीय आविष्कार जापान की तकनीकी क्षमता का उदाहरण हैं।
  1. सामाजिक विशेषताएँ:
  • जापान की जनसंख्या में उच्च शिक्षा, अनुशासन और कार्य के प्रति प्रतिबद्धता देखने को मिलती है।
  • समाज में तकनीक और परंपरा का संतुलन है।
  1. विदेश नीति:
  • जापान ने शांतिवादी संविधान को अपनाया है और सैन्य मामलों में सीमित हस्तक्षेप करता है।
  • अमेरिका के साथ मजबूत सैन्य एवं आर्थिक संबंध हैं।
  • जापान संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्य बनने का भी आकांक्षी है।
  1. क्षेत्रीय भूमिका:
  • जापान एशिया-प्रशांत क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव को संतुलित करने में सक्रिय भूमिका निभा रहा है।
  • आसियान देशों और भारत के साथ मजबूत आर्थिक और रणनीतिक संबंध स्थापित कर रहा है।

दक्षिण कोरिया: एक तेजी से उभरती शक्ति

  1. ऐतिहासिक पृष्ठभूमि:
  • 1950-53 के कोरियाई युद्ध के बाद दक्षिण कोरिया आर्थिक और राजनीतिक रूप से कमजोर था।
  • अमेरिका की सहायता और देश की मेहनती जनता के कारण दक्षिण कोरिया ने तेज़ी से प्रगति की।
  1. आर्थिक विकास:
  • दक्षिण कोरिया ने 1960 के दशक में ‘निर्यात उन्मुख औद्योगीकरण’ नीति अपनाई।
  • Samsung, LG, Hyundai जैसी कंपनियों ने वैश्विक ब्रांड के रूप में पहचान बनाई।
  • दक्षिण कोरिया आज दुनिया की 10 सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक है।
  1. तकनीकी नेतृत्व:
  • दक्षिण कोरिया IT, 5G नेटवर्क, सेमीकंडक्टर और इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र में वैश्विक नेता है।
  • Seoul विश्व के सबसे तकनीकी रूप से उन्नत शहरों में से एक है।
  1. सांस्कृतिक प्रभाव:
  • दक्षिण कोरिया की ‘के-पॉप’ (K-Pop), के-ड्रामा, और सिनेमा (जैसे “Parasite”) ने वैश्विक सांस्कृतिक धारा में बड़ा स्थान बना लिया है।
  • दक्षिण कोरिया की ‘सॉफ्ट पावर’ तेजी से बढ़ रही है।
  1. विदेश नीति:
  • अमेरिका के साथ मजबूत रक्षा साझेदारी है।
  • चीन और उत्तर कोरिया के साथ सामरिक संतुलन बनाने की नीति अपनाई गई है।
  • दक्षिण कोरिया एशिया में शांति और स्थिरता बनाए रखने में सक्रिय भूमिका निभा रहा है।
  1. रक्षा क्षेत्र:
  • दक्षिण कोरिया आधुनिक सैन्य तकनीक में निवेश कर रहा है।
  • उत्तर कोरिया के परमाणु खतरे के कारण दक्षिण कोरिया अपनी रक्षा क्षमताओं को लगातार मजबूत कर रहा है।

जापान और दक्षिण कोरिया की समानताएँ:

  1. आर्थिक चमत्कार: दोनों देशों ने अल्प समय में भारी आर्थिक प्रगति की।
  2. तकनीकी नेतृत्व: दोनों देश उन्नत तकनीक और नवाचार के क्षेत्र में अग्रणी हैं।
  3. अमेरिका से मजबूत संबंध: दोनों देशों की सुरक्षा और आर्थिक नीतियाँ अमेरिका से जुड़ी हुई हैं।
  4. शांति प्रिय विदेश नीति: सैन्य टकराव से बचते हुए आर्थिक और कूटनीतिक तरीके से अपना प्रभाव बढ़ा रहे हैं।
  5. सांस्कृतिक विस्तार: जापान की ‘एनिमे’ संस्कृति और दक्षिण कोरिया की ‘के-पॉप’ संस्कृति विश्वभर में लोकप्रिय हैं।

चुनौतियाँ:

  • जनसंख्या समस्या: जापान में जनसंख्या घट रही है और दक्षिण कोरिया में जन्म दर बहुत कम है।
  • क्षेत्रीय तनाव: चीन और उत्तर कोरिया के साथ क्षेत्रीय विवादों की संभावनाएँ बनी रहती हैं।
  • आर्थिक प्रतिस्पर्धा: वैश्विक स्तर पर चीन की आर्थिक शक्ति का बढ़ना दोनों देशों के लिए चुनौती है।

निष्कर्ष:

जापान और दक्षिण कोरिया ने अपनी मेहनत, नवाचार और कूटनीति के बल पर वैश्विक पटल पर महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त किया है। दोनों देश एशिया की उभरती शक्तियाँ हैं जो न केवल अपनी अर्थव्यवस्था और तकनीक के कारण, बल्कि अपनी सांस्कृतिक और कूटनीतिक ताकत के कारण भी विश्व में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। भविष्य में ये देश एशिया-प्रशांत क्षेत्र में शांति, स्थिरता और विकास के लिए निर्णायक साबित हो सकते हैं।

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