द्विध्रुवीयता का अंत || शॉक थेरेपी और उसके परिणाम ||

द्विध्रुवीयता का अंत: शॉक थेरेपी और उसके परिणाम

शॉक थेरेपी क्या है?

शॉक थेरेपी (Shock Therapy) “आघात पहुंचाकर उपचार करना” एक आर्थिक सुधार प्रक्रिया है, जिसका उद्देश्य किसी देश की समाजवादी (Socialist) या केंद्रीयकृत (Centrally Planned) अर्थव्यवस्था को तेजी से पूंजीवादी (Capitalist) और मुक्त बाजार (Free Market) अर्थव्यवस्था में बदलना होता है। इस नीति का प्रयोग विशेष रूप से सोवियत संघ के विघटन (1991) के बाद रूस और पूर्वी यूरोप के देशों में किया गया था।

शॉक थेरेपी को “आर्थिक झटका” इसलिए कहा गया क्योंकि इसमें सुधार बहुत ही तेज गति से लागू किए गए, बिना किसी लंबी तैयारी या जनता को समय दिए।

शॉक थेरेपी के प्रमुख तत्व:

  1. अर्थव्यवस्था का निजीकरण (Privatization):
    • सरकारी उद्योगों और संपत्तियों को निजी हाथों में बेचना।
    • राज्य का आर्थिक नियंत्रण तेजी से समाप्त करना।
  2. नियंत्रणों का उन्मूलन (Liberalization):
    • वस्तुओं और सेवाओं के मूल्य पर सरकारी नियंत्रण हटाना।
    • व्यापार और निवेश पर लगे प्रतिबंधों को समाप्त करना।
  3. मुक्त बाजार व्यवस्था को अपनाना:
    • सरकार की भूमिका सीमित करना।
    • मांग और आपूर्ति के आधार पर मूल्य निर्धारण करना।
  4. विदेशी निवेश को बढ़ावा देना:
    • विदेशी कंपनियों और पूंजी के लिए बाजार खोलना।
    • वैश्विक अर्थव्यवस्था में शामिल होना।
  5. सरकारी सब्सिडी में कटौती:
    • आवश्यक वस्तुओं और सेवाओं पर मिलने वाली सब्सिडी को समाप्त करना।

शॉक थेरेपी के परिणाम:

शॉक थेरेपी के परिणाम दो प्रकार के रहे – सकारात्मक और नकारात्मक।

  1. सकारात्मक परिणाम:
  • निजी उद्योगों का विकास: निजी क्षेत्र में वृद्धि हुई और प्रतिस्पर्धा बढ़ी।
  • विदेशी निवेश में वृद्धि: विदेशी कंपनियों ने निवेश करना शुरू किया जिससे कुछ क्षेत्रों में तकनीकी सुधार हुए।
  • अंतरराष्ट्रीय व्यापार में वृद्धि: वैश्विक बाजारों के साथ व्यापार बढ़ा।
  1. नकारात्मक परिणाम:
  • बेरोजगारी में भारी वृद्धि: सरकारी कंपनियों के निजीकरण और बंद होने के कारण लाखों लोग बेरोजगार हो गए।
  • महंगाई में तेजी से वृद्धि: सरकार द्वारा मूल्य नियंत्रण हटाने के कारण आवश्यक वस्तुएं महंगी हो गईं।
  • गरीबी और असमानता में वृद्धि: समाज में गरीब और अमीर के बीच का फासला बढ़ता चला गया।
  • आर्थिक अस्थिरता: बाजार में अचानक बदलाव से आर्थिक ढांचा अस्थिर हो गया।
  • जीवन स्तर में गिरावट: आम लोगों के लिए स्वास्थ्य, शिक्षा और भोजन जैसी बुनियादी चीजें महंगी और कठिन हो गईं।
  • माफियाकरण और भ्रष्टाचार: निजीकरण की प्रक्रिया में बहुत तेजी और अनियमितता के कारण कुछ लोगों ने गलत तरीके से सरकारी संपत्तियां खरीद लीं, जिससे माफिया और भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिला।
निष्कर्ष:

शॉक थेरेपी के कारण कुछ देशों में आर्थिक विकास तो हुआ, लेकिन इसकी प्रक्रिया बहुत कठोर और अचानक थी। इस कारण वहां के आम नागरिकों को भारी आर्थिक और सामाजिक समस्याओं का सामना करना पड़ा। इसका सबसे बड़ा उदाहरण रूस है, जहाँ आर्थिक असमानता, गरीबी और बेरोजगारी तेजी से बढ़ी।

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